Hello friends...
आज मै आप के साथ एक ऐसी कहानी share करने जा रहा हु जो हमे यह बताती है कि "आशा अमर है ।"(hope never dies!), यह कथन कितना सत्य है ।
● दरिया के किनारे एक गॉव बसा था ।
दरिया बिलकुल ही नजदीक होने के कारण गॉव के काफी लोग मच्छीमारी या कोइ छोटा मोटा काम जो दरिया के कारण हो सके वो करते थे और अपनी रोजी रोटी कमाते थे ।
इसी गॉव मे एक छोटा अनाथ लडका रहेता था । यह अनाथ लडका भी अपना भरण पोषण ऐसे ही छोटे मोटे काम करके करता था ।
बचपन मे जब वो छोटे मोटे काम करता था, तभी से उसका सपना था की बडा होके वह अपना खुद का मच्छीमारी और नौकाओ का व्यवसाय करेगा ।
अपने इस व्यवसाय को करने के लिए वह बचपन से ही पैसे जोड रहा था । साथ ही साथ अपने जोडे हुए पैसो मे से उसने अपना खुद का एक छोटा सा घर भी खरीदा और उसमे ही रहने लगा ।
जैसे ही वह थोडा बडा और समजदार हुआ, उसने अपने जोडे हुए पैसो से अपना व्यवसाय शुरु करने का निर्णय लिया । उसने व्यवसाय शुरु करने के लिए कितने पैसो की जरुरत होगी उसका हिसाब लगाया । हिसाब लगाने पर उसे मालूम हुआ की उसने जितने पैसे जोडे है वह व्यवसाय शुरु करने के लिए जरुरी पैसो से बहोत कम है ।
जोडे हुए पैसे कम होने की वजह से वह असमंजस मे पड गया । वह सोचने लगा की अब क्या किया जाए । ऐसे मे ही उसका एक दोस्त उसके पास आता है । लडके को असमंजस मे देखकर दोस्त उसे पुछता है की आखिर बात क्या है ।
लडका दोस्त को अपनी परेशानी बताता है । लडके की बात सुनकर उसका दोस्त उसे बताता है की वह उसकी यह परेशानी का हल जानता है और उसे उनके ही गॉव के एक जमीनदार के बारे मे बताता है जो उसको अपना व्यवसाय करने के लिए पैसे उधार दे सकता है ।
दोनो दोस्त उस जमीनदार के पास गए । जमीनदार को वह अपनी परेशानी बताता है । उसकी बात सुनकर जमीनदार उसे व्यवसाय शुरु करने के लिए जरुरी पैसे देने के लिए तैयार हो गया, पर उसने एक शर्त रखी ।
जमीनदार की शर्त यह थी की एक साल मे उसे जमीनदार के सारे पैसे चुकाने होगे । अगर साल खतम होने पर जमीनदार के थोडे से भी पैसे बाकी रहे तो उस लडके का घर उस जमीनदार का हो जाएगा । लडका इस बात से सहमत हुआ और उसने जमीनदार के पास पैसे लिए ।
जमीनदार के पास लिए हुए पैसे और खुद ने जोडे हुए पैसो से लडके ने अपना व्यवसाय शुरु किया । अपनी महेनत और लगन से उसका व्यवसाय अच्छा चलने लगा । बहोत ही कम वक्त मे लडके ने काफी तरक्की कर ली ।
देखते ही देखते दस महीने गुजर गए । दील लगाकर और लगन से महेनत करने की वजह से लडके ने जमीनदार के ज्यादातर पैसे भी चुका दिए और उसे विश्वास था की वह बाकी के पैसे भी वक्त खतम होने से पहले पहले चुका देगा।
पर एक दीन, जब वह लडका और बाकी के लोग दरिया किनारे पर अपना काम कर रहे थे, तब अचानक से दरिया मे एक बहोत ही भयंकर तुफान आया । इस तुफान ने काफी तबाही मचाइ । किसी ने जान गॅवाइ तो किसी ने अपनी रोजी रोटी ।
इसी तुफान की वजह से उस लडके का व्यवसाय भी तहस नहस हो गया । उसकी सारी नाव दरिया मे बह गइ । पैसे न चुका पाने के कारण जमीनदार लडके के घर पर कब्जा कर लेता है और उसका सारा सामान घर से बाहर फेंक देता है । अब उस लडके के पास ना तो रहेने के लिए घर था ना तो रोजी रोटी के लिए कोइ व्यवसाय ।
इस परिस्थिती मे कोइ भी उसकी मदद करने के लिए तैयार नही था । यहा तक की उसके अपने दोस्तो ने भी उसकी मदद करने से ईन्कार कर दीया । लडका बहोत ही निराश हो गया, वह अंदर से पुरा तुट चुका था ।
रोते रोते, यहा से वहा भटकते हुए वह एक मंदीर जा पहोचा । मंदीर मे रोते रोते वह भगवान से फरियाद करता है कि उन्होने क्यो उसके पास से सबकुछ छीन लिया । उसकी बाते मंदीर मे बैठे हुए एक पुजारी सुनते है । पुजारी लडके के पास आते है और उसे अपने साथ ले जाते है । वह उसे एक ऐसा लडका दीखाते है जिसके दोनो पैर और एक हाथ नही होता । सिफॅ एक हाथ होने के बावजुद भी वह बडी खुशी से मंदीर की सफाई का काम कर रहा था ।
फिर पुजारी उस लडके से कहते है ,"बेटा, भगवान ने तुमसे सिफॅ तुम्हारा घर और व्यवसाय ही छीना है, पर अभी भी तुम्हारे पास बहोत कुछ है ।"
इतना कहकर पुजारी चले जाते है । पुजारी की बात सुनकर लडका सोचता है कि अगर एसा लडका जिसके पास हाथ और पैर भी नही है, अगर वह इतना आशावान हो सकता है, तो उसके पास तो अभी भी बहोत कुछ है, अब भी वह बहोत कुछ पा सकता है ।
इतना कहकर पुजारी चले जाते है । पुजारी की बात सुनकर लडका सोचता है कि अगर एसा लडका जिसके पास हाथ और पैर भी नही है, अगर वह इतना आशावान हो सकता है, तो उसके पास तो अभी भी बहोत कुछ है, अब भी वह बहोत कुछ पा सकता है ।
आशावान होकर वह फिर से उसी महेनत और लगन से काम करने लगता है । देखते ही देखते, कुछ ही वक्त मे वह फिर से पहले से भी ज्यादा तरक्की करता है । उसके बाद उसने जीवन मे हंमेशा आशावान रहने का निश्चय कीया ।
● हमे भी हंमेशा आशावान रहेना चाहीए । आशावान रहेने वाले लोगो को कभी भी कोइ अवरोध आगे बढने से
नही रोक सकता । काफी बार हम ऐसी परिस्थति मे फंस जाते है जहा से हमे कोइ रास्ता नजर नही आता । ऐसे वक्त मे सिफॅ आशावान व्यक्ति ही राह देख सकता है और वह परिस्थिति को अपने अनुकुल बना सकता है ।
निराश हो जाना किसी भी परेशानी का हल नही है । निराश होकर हम हमारी शक्ति को गॅवाते है । हमारी आंखो पे निराशा की पट्टी बॉंध लेते है, जिसकी वजह से हमे परेशानी का हल दिखना बंध हो जाता है ।इसलिए हमे कभी निराश नही होना चाहिए, परिस्थिति चाहे जो भी हो । शायद इसीलिए कहा जाता है कि, "आशा अमर है" ( hope never dies)
अपना ख्याल रखिए, खुश रहिए ।
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Thank you.
- Yagnesh Kaklotar
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