आज हवाओ को अपने बस में करने चाहते है
आसमान की उंचायो को छुना चाहते है
ठंडी गरम हवाओ से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्युकी हम तोह आज़ाद परिंदे है
जो हवाओ को अपना जस्बा दिखाना चाहते है।
आँखों की हर खावाहिस को सचाय बनाना चाहते है
भागना गिरना और गिर कर सामलना चाहते है
लोगो की हसी और तानो से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
हम तोह अपनी खुद की सोच के मालिक है
जो अपना हर एक सपना पूरा करना चाहते है।
भागना गिरना और गिर कर सामलना चाहते है
लोगो की हसी और तानो से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
हम तोह अपनी खुद की सोच के मालिक है
जो अपना हर एक सपना पूरा करना चाहते है।
समंदर के मोजो की आवाज के सम्बे अपनी आवाज रखना चाहते है
मोजो की तरह कभी उपर तोह कभी निचे गिरना चाहते है
हमारी नवो को कोई तुफानो से डरा नहीं सकता
क्युकी हम तोह समंदर की नाव के वो रखवाले है
जो हर हाल में किनारे पर पोह्चना जानते है।
मोजो की तरह कभी उपर तोह कभी निचे गिरना चाहते है
हमारी नवो को कोई तुफानो से डरा नहीं सकता
क्युकी हम तोह समंदर की नाव के वो रखवाले है
जो हर हाल में किनारे पर पोह्चना जानते है।
हम अपनी मनमर्जी यो से जिंदगी जिना चाहते है
सपनो के साथ साथ ज़िन्दगी को सवारना चाहते है
कोई साथ हो या खिलाफ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्युकी हम वो है
सब क दिलो में बसकर सब का प्यार पाना चाहते है।।
सपनो के साथ साथ ज़िन्दगी को सवारना चाहते है
कोई साथ हो या खिलाफ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्युकी हम वो है
सब क दिलो में बसकर सब का प्यार पाना चाहते है।।
- Shruti Shah
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Nice poem,
ReplyDeleteKeep Up
Thanks for your comment Rohan..
DeleteKeep visiting OWI for more InsPoems.