29 February, 2016

First "InsPoem" of Own World Inspiration - "मनमर्जीया"



manmarziya
manmarziya


आज हवाओ को अपने बस में करने चाहते है
आसमान की उंचायो को छुना चाहते है
ठंडी गरम हवाओ से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्युकी हम तोह आज़ाद परिंदे है
जो हवाओ को अपना जस्बा दिखाना चाहते है।

आँखों की हर खावाहिस को सचाय बनाना चाहते है
भागना गिरना और गिर कर सामलना चाहते है
लोगो की हसी और तानो से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
हम तोह अपनी खुद की सोच के मालिक है
जो अपना हर एक सपना पूरा करना चाहते है।

समंदर के मोजो की आवाज के सम्बे अपनी आवाज रखना चाहते है
मोजो की तरह कभी उपर तोह कभी निचे गिरना चाहते है
हमारी नवो को कोई तुफानो से डरा नहीं सकता
क्युकी हम तोह समंदर की नाव के वो रखवाले  है
जो हर हाल में किनारे पर पोह्चना जानते है।
हम अपनी मनमर्जी यो से जिंदगी जिना चाहते है
सपनो के साथ साथ ज़िन्दगी को सवारना चाहते है
कोई साथ हो या खिलाफ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
क्युकी हम वो है
सब क दिलो में बसकर सब का प्यार पाना चाहते है।।
- Shruti Shah

• ABOUT AUTHOR •

★ SHRUTI SHAH is a 20 year old emotional girl who always wishes to give hope to everyone,who loves to convey that dreams can not be seen only, but dreams can be lived,too and writes poems to do so. She loves to cook yummy delicious food and along with it,she is pursuing her degree in Information And Communication Technology

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2 comments:

  1. Replies
    1. Thanks for your comment Rohan..
      Keep visiting OWI for more InsPoems.

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